विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस
(५ मई)

आजु ‘विश्व पर्यावरण दिवस ‘ हs प्रकृति मानवता के ऊपर हास्यात्मक व्यंग्य कर रहल बे-

ऐ मनई तू बात ना बूझs
फेङ कटाई करेलs,
जेवन दिन दम घुटे लागी
राम नाम काहैं धरेलs ?

जियत जिनगी सथ निभाई
तबो मोह ना धरे हो,
गर-घंट मे पानी भरलs
टंगलs वर के तरे हो |

हवा-जल आ फल-फूल
कामें आई लवना के,
तू लो के सहूर ह कइसन
जइसन इजत बवना के |

कवि लो के कलम बथेला
गायक लो के गीत,
भीतरी पीङा केहू ना बूझे
केहू ‘सार आ हीत’ |

हवा छोङि हवा बिगरलs
फेंकलs फूहर धुआँ हो,
मानवता भी सूखे लागल
जइसे सूखे कुआँ हो |

हवा के बात हवा उङइल
कइलs नाहिं चेत,
हमनि के तs लाषा छोङिं
तू लो भरs खेत |

पानी हवे रंग बेरंगा
भईल बाटे बेदीन,
हितईगण पूछे ना पानी
बूझs तवना दिन |

जब-जब पानी उतरेला
तब-तब रऊवां रोईले,
हमरा कीमत मालूम करिं
जब पिछवाङा धोईले |

गिरगिट नेता रंग बनावस
दिनभर में बीस,
‘चेला-चपाटी’ माईक बजावस
हमनि बरे खीस |

अभिषेकवा त करे किसानी
यूरिया डाई डालिके,
रोग ब्याधि देंहे धरे
झंखस अपना हाल के |

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